Jyoti yadav 14 Aug 2023 कविताएँ समाजिक अंधुरी है ख्वाहिशें दुआएं बेअसर है 6068 0 Hindi :: हिंदी
छोटी सी जिंदगी मुश्किल सफर है पहरा पड़ा नजाकत पर दुआएं बेअसर है लगी खुब आजमाइशे क्यों क्या कसूर है अधुरी है ख्वाहिशें साजिशें भरपूर है हंसने की तमन्ना थी है आंसुओं का सिलसिला इक खुशी मांगी थी मैंने दर्द ही दर्द मिला यह खेल है किस्मत का या बदनसीबी हमारी क्यों मिलती है हार हर बार इतनी करारी मेरी हालातों से क्यों रब्बा बेखबर है पहरा पड़ा नजाकत पर दुआएं बेअसर है