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दुःखों को न तो पालने चाहिए और न ही उन्हें याद रखने की कोशिश करनी चाहिए।

Rajendra Prasad Gupta 04 Jun 2023 आलेख समाजिक सुखशांति, दुःख, हिम्मत, हारना, 8106 0 Hindi :: हिंदी

यह एक सच्चाई है कि जीवन में दुःख और सुख दोनों हैं, और इन दोनों के अनुभव जीवन का हिस्सा हैं। हम सभी जीवन में दुःख और पीड़ा को अनुभव करते हैं, लेकिन हमें इसे अपने मन में नहीं रखना चाहिए।

दुःख के वजह से हमारा जीवन अच्छी तरह से प्रभावित हो सकता है। हम उसे अपने मन में पाल रखते हैं, सोच-विचार में उसका विचार करते हैं और अक्सर उसे याद करते रहते हैं। इस प्रकार, हम अपने अंतर्मन को दुःख की ओर ध्यान केंद्रित करके अपने आप को और भी दुखी बना देते हैं। हम अपने मन को तनावपूर्ण और उदासीन बना देते हैं, जो हमारे जीवन के अन्य पहलुओं को भी प्रभावित कर सकता है।

हमें यह समझना होगा कि जीवन बहुत सारे चरम और आनंदमय पलों के साथ आता है। हर दिन जीवन में नई खुशियाँ और नई सं

घर्षों की चुनौतियां आती रहती हैं। हमें इन पलों को पहचानना चाहिए और उन्हें उच्च स्तर पर आनंदित होना चाहिए। जीवन की हर एक सुखद और खुशहाल घटना को हमें अपने मन में स्थान देना चाहिए और उन्हें याद करके उनका आनंद लेना चाहिए।

दुःखों को भूलने की कला का अभ्यास करना हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें अपने मन को एक सकारात्मक और उन्नत मार्ग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हम दुःख को भूलने के लिए अपने मन को सकारात्मक विचारों से भरने की कोशिश कर सकते हैं। हम दूसरों के साथ सहयोग करके और सम्पर्क में रहकर भी खुश रह सकते हैं। हमें दुःख को भूलने के लिए अपने मन को स्वस्थ और अच्छी तरह से सामर्थ्यशाली बनाना चाहिए।

जीवन में खुशहाली के लिए हमेशा दुःख को भूलने की कला का अभ्यास करना चाहिए। यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें यह समझना होगा कि दुःख हमारे जीवन का अंग है, और हमें

 उसे उचित समय पर छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए। हमें स्वयं को सुखी और आनंदित रखने के लिए उचित तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।

इसलिए, दुःख को न तो पालने चाहिए और न ही उसे याद रखने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में सुख और खुशियों को स्वागत करें और उन्हें गहराई से अनुभव करें। हमारा जीवन अनमोल है और हमें उसे खुशी और संतोष से भरना चाहिए। चिंताएं और दुःख हमारे पास होते रहेंगे, लेकिन हमें उन्हें जीवन की सच्ची खुशियों से दूर रखना चाहिए। हमें स्वयं को और अपने आस-पास के लोगों को खुश रखने के लिए प्रयास करना चाहिए और दुःख की जटिलताओं को भूल जाना चाहिए।

जीवन एक अनुभवों का संग्रह है और हमें उसे पूरे उत्साह और प्रसन्नता के साथ जीना चाहिए। हमें दुःख की ओर अपना ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि हमें सुख और खुशियों की ओर अपनी दृष्टि रखनी चाहिए। जब हम दुःख को भूल जाते हैं और उसे अपने जीवन से निकाल देते हैं, तब हमें सिर्फ खुशियों का ही अनुभव होता है।

इसलिए, दुःख को न तो पालने चाहिए और न ही याद रखने की कोशिश करनी चाहिए। हमें अपने मन को सकारात्मकता और आनंद की ओर प्रवृत्त करना चाहिए। जीवन में खुशहाली और सुख की खोज करने के लिए हमें अपने मन को स्वस्थ और शांत रखना चाहिए। हमें दुःख की जटिलताओं से आगे बढ़कर आनंदपूर्वक जीने का निर्णय लेना चाहिए। इस प्रकार, हम सच्ची खुशियों को प्राप्त कर सकते हैं और जीवन का हर पल आनंदमय बना सकते हैं।

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