Sudha Chaudhary 08 Jul 2023 कविताएँ अन्य 5728 0 Hindi :: हिंदी
कुछ राग है कुछ रंग है जीवन तुम्हारे संग है। बदलियों में धूप है जैसे घना कोई कुंभ है आज सौंधी मिट्टियां कह रही हैं प्रीत है। कुछ राग है कुछ रंग है जीवन तुम्हारे संग है। बंद जिस कृपाण की बुझ गई है प्यास कह रही है रूपसी कर ले तूं श्रृंगार तो। ख्वाहिशें बुझी नहीं अब तुम्हारे संग है। प्रेम के दृग भरे जो कहीं छलक गये सार में पूरे हुए ना विस्तार में चले गए अंत की ठंडी लहर में हम तुम्हारे संग है। अध खुले वो केश मांगते हैं वेष जानकर तुम से मिलूं कर रहे हैं द्वेष। अब कहां अधरों पे बीड़ा जब जाना तुम्हारे संग है। कुछ राग है कुछ रंग है जीवन तुम्हारे संग है। सुधा चौधरी बस्ती