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औरो की मदद के लिए कविता

BASANT KUMAR JANGDE 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक कविता बसंत कुमार जांगड़े मुंगेली 8955 0 Hindi :: हिंदी

अपने लिए तो हर कोई जीता औरों के लिए तो जी के देखो।
अमृत की इच्छा तो हर कोई करता
औरों को एक घूँट पिलाके तो देखो।
खड़ा हिमालय बाहें फैलाए
करने को मदद तुम्हारी।
गंगा की कलकल धाराएं उत्सुक प्यास बुझाने तुम्हारी।
सीखो तुम चाँद सितारों से
कैसे तमको भगाता उजियारों से।
सीखो तुम मलय पवन की बयारों से
कैसे जीवन को महकाता खुशियों के संचारों से।
स्वार्थ में तो हर कोई जीता
निःस्वार्थ की डोर पकड़के तो देखो।
अपने लिए तो हर कोई जीता औरों के लिए तो जी के देखो।
फूलों की खुशबू से सीखो
कैसे विखेरता औरों के लिए।
कलियों की सुंदरता को देखो
कैसे न्योछावर करता भौंरो के लिए।
धरती की माया को देखो
तरु की छाया से सीखो।
आनन की छाती को देखो
दीया की बाती से सीखो।
सेवा में जीवन बिताना सीखो
हर दिल से दुख मिटाना सीखो।
सबसे प्यार जताना सीखो
सबको गले लगाना सीखो।
अपनों के प्यार में तो हर कोई जीता
औरों के लिए यह एहसास जगाके तो देखो।
अपने लिए तो हर कोई जीता औरों के लिए तो जी के देखो।

                                   बसंत राज..…...
                                           भरदा
                                    8810474554

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