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तुम्हारे लिए-चल पड़ी पंक्तियां प्रेम के कुंज में रो पड़ी ये दिशाएं तुम्हारे लिए

Sudha Chaudhary 11 Oct 2023 कविताएँ अन्य 16263 0 Hindi :: हिंदी

चल पड़ी पंक्तियां प्रेम के कुंज में
रो पड़ी ये दिशाएं तुम्हारे लिए।
सोचते सोचते नीर बादल बना
गंगा निर्मल वही है तुम्हारे लिए।
नेहा दर्पण लिए मिल रहे हो अभी
तुम हमारे लिए, हम तुम्हारे लिए
कुछ कहे बिन रह ना गया आज भी
हम तो मरते रहे हैं तुम्हारे लिए।
घर की गलियां थी सूनी,चौराहे थे सूने
फिर भी  मन की मगरिब  का दीया तुम्हारे लिए।

सुधा चौधरी
बस्ती

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