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वन संरछ्ण

Amaresh pratap 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक वन संरछ्ण, Save Environment 23621 0 Hindi :: हिंदी

ऐसे ही होता रहा, यदि वन वृछों का ह्रास
तो वो दिन भी दूर नही जब होगा महाविनाश
होगा महाविनाश कोई कुछ कर न सकेगा
मार प्रकृति की यार आदमी सह न सकेगा।


कहीं प्ररदूषण वायु का है,कहीं भयंकर ताप 
इसका कारण है यही, तू रहा वृच्छ है काट
रहा वृच्छ है काट ,सम्भल जा अब भी मा
नव
चाहे अपनी खैर बैर न प्रकृति से ठानव।


यदि तू चाहे भुवन मे, आती रहे बहार
वृच्छ काटना छोड़ दे ,कर पेडो़ से प्यार
कर पेडो़ से प्यार बता मानव को छण छण
कह अमरेश प्रताप जरूरी वन संरछण।

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