औरत खुद रूठती है और किसी रूठे को मनाते भी है। औरत खाती है और खाना बनाती भी है। औरत सोती ती है और लोरी गा कर सुलाती भी है। औरत गम देती है तो गम भुलाते भी है। शायद औरत वह गजल है जिसे कोई गा नहीं सकता। और औरत वह पजल है जिसे कोई सुलझा नहीं सकता।
औरत खुद रूठती है और किसी रूठे को मनाते भी है। औरत खाती है और खाना बनाती भी है। औरत सोती ती है और लोरी गा कर सुलाती भी है। औरत गम देती है तो गम भुलाते भी है। शायद औरत वह गजल है जिसे कोई गा नहीं सकता। और औरत वह पजल है जिसे कोई सुलझा नहीं सकता।