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अपनी ही सपनों में....

मोती लाल साहु 01 May 2023 शायरी समाजिक अपने ही सपनों में, एहसास में उड़ती सी तरंग- उधर ढलने लगा- ढलता गया और ढल गया- अपने ही तनहाइयों में उगता अनंत शांति में ढल गया। 5663 0 Hindi :: हिंदी

अपने ही-
सपनों में खोया,
एहसास में-
उड़ती सी तरंग

मैं उधर-
ही ढलने लगा
ढलता गया-
और ढल गया

अपने ही-
तन्हाइयों में,
उगता अनंत-
शांति में ढल गया
-मोती

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