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मेरे शिव

नरेंद्र भाकुनी 08 Mar 2024 कविताएँ धार्मिक कविता, हिंदी कविता, महाशिवरात्रि, महाकाल, उज्जैन, महादेव 1308 0 Hindi :: हिंदी

आदि हूँ, अनादि हूँ, अंत हूँ अंनत हूँ
दिलों मे जो ही कह रहा आज मैं स्वतंत्र हूँ।। 

सत्य की जो आत्मा, आत्मा  , 
आत्मा - परमात्मा
आशुतोष हूँ सदा निर्विकार मैं साकार
ओंकार ही ओंकार हूँ।। 

भक्त की जो लालसा, लालसा मे हैं बिभा। 
समग्र देव ये कहें, कणों -कणों मे हैं बसा।। 

सब गणों  के साथ मे, हाँ साथ मे साथ मे। 
आज सबके नाथ मे, नाथ के बारात मे।। 

मैं देव हूँ महादेव हूँ, छोड़ कर जँजाल हूँ
सब गुणों एक कर, काल का महाकाल हूँ।। 

-  नरेंद्र सिंह भाकुनी

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