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अब चलना सिख रही हूं-अब सुरज के तपना सिख रही हूं

Jyoti yadav 31 Jul 2023 कविताएँ समाजिक 🥀🙏अब चलना सिख रही हूं 🙏🥀 7384 0 Hindi :: हिंदी

बहुत लिखा चांद के लिए🥀
 💐आज सुरज की बात करुंगी👌🙏
रातें तो बहुत देखीं
आज🌙 सुबह की शुरुआत करुंगी🌻

नींद  तो पूरी हुई नहीं
ख्वाब मुकम्म💯ल करने का इरादा है
जो चल पड़े रास्ते में तो
लौटेंगे नहीं वादा है ♥️

चांद से शितलता🥀 तो सिखा है
अब सुरज के तपना सिख रही हूं ✍️
जाग गई 💐अब चलना सिख रही हैं 🥀

इन्तजार है♥️ हमें सुनहरी धूप का
रौशन जहां रौशन रुप का🌹
🥀कर्म के बगिया को अब सिंच रही हूं
जाग गई अब❤️ चलना सिख रही हूं 💯


( ज्योति यादव के कलम से )
कोटिसा , विक्रमपुर 
सैदपुर गाजीपुर 🙏✍️

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