बेटी को ससुराल में तकलीफ जो कोई होती है , माँ की ममता फिर रोती है और पिता को चिंता होती है |
कैसा है दस्तूर निराला , अरे ! बहु भी तो एक बेटी है , उस बेटी के लिए है आंसू और इस बेटी पे लानत होती है |
बेटी को ससुराल में तकलीफ जो कोई होती है , माँ की ममता फिर रोती है और पिता को चिंता होती है |
कैसा है दस्तूर निराला , अरे ! बहु भी तो एक बेटी है , उस बेटी के लिए है आंसू और इस बेटी पे लानत होती है |