Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख बाल-साहित्य (हम समय में चलते हैं) 30136 0 Hindi :: हिंदी
अगर हम आप लोगों से, यह कहते हैं कि, हम लोग प्रतिदिन, चारों युगों का बोध लेकर, जीते हैं, यह बात कुछ अटपटी लगेंगे, आओ हम इस लेख के जरिए, कुछ उदाहरण देते हैं, सबसे पहले सतयुग- सत्य को हम ऐसे देखते हैं कि, वह युग जो होता था, उसमें सत्ता थी, सत्य की सत्ता थी, मैं सुबह उठता हूं, और अपने इष्ट देव को याद करता हूं, यहां पर मैं कह देता हूं, कि हिंदू धर्म को मैं महान संस्कृति, इसलिए नहीं मानता हूं कि वह ईश्वर वादी सोच को मानता है, बहुत से धर्म से है, जिनमें हवाई बात सुनने को मिलती है, इस विषय में, हम अपने अगले लेख में चर्चा करेंगे, अतः अपने इष्ट देव को याद करना, जिसने सृष्टि को बनाया है, हम उनके लिए आभार व्यक्त करते हैं, इस समय को हम सतयुग मानते हैं, इनके बाद आता है त्रेतायुग, इस युग में भगवान श्री राम, बड़ों का सम्मान करते थे, उनकी आज्ञा मानते थे, मैं सुबह उठकर बड़े बुजुर्गों को, प्रणाम करता हूं, उनके आगे सर झुकाता हूं, हमारे अंदर एक विनम्र भाव उत्पन्न होता है, एक बड़ों के प्रति प्रेम और आदर उत्पन्न होता है, इस समय को हम त्रेता युग की श्रेणी में, (3)रखते हैं, और अपने कार्य करने से पहले, कार्य में जाने से पहले, पूजा स्नान से निर्मित, सूर्य नमस्कार, तथा योगाभ्यास, अपने कार्य को करने के लिए दृढ़ संकल्प लेना, उस कार्य को अंजाम देने के लिए- आगे बढ़ना, इस विधि को इस समय को द्वापर युग मानते हैं,(4) फिर हम अपने कार्य को करते हैं, उस कार्य के लिए इधर उधर भटकते भी हैं, उस कार्य में मिलने वाली कठिनाई परेशानी, सब कलयुग की श्रेणी में रखते हैं= यहां पर हम देखते हैं कि= जो योग है वह इंसानों की विकास विचारों का बोध कराता है, समय बदलता गया और लोगों की सोच भी बदलती गई, उस प्रकार हम लोगों का जीवन भी बदलता, जा रहा है संसार में परिवर्तन, भी होता रहा है, लेकिन हम सब अपने भावना को मिटा नहीं सकते,
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...