बहते झरने से सुलह करके आता हूँ
इस बात का अंदेशा है कि कहके मान जाएगा
सबके हिस्से में कुछ और आता है
दिल की भावना है
दिल से कभी सहके और जान जाएगा
बहते झरने से सुलह करके आता हूँ
इस बात का अंदेशा है कि कहके मान जाएगा
सबके हिस्से में कुछ और आता है
दिल की भावना है
दिल से कभी सहके और जान जाएगा