Manisha Singh 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य poetry, Hindi, aaj, Happy 16121 1 5 Hindi :: हिंदी
खुश हूँ मैं आज खुश हूँ क्योकि, आज मैं आज़ाद हूँ खुद अपनी ही कैद से जैसे पहले कभी ना हुई | ना जाने क्यों रखा था मैंने खुद को वहाँ क्यों ने निकल आयी में पहले ही बाहर उस काले अतीत की परछाई से पता है! कोई नहीं रहता किसी के साथ ज़िंदगी भर छोड़ ही देती ये परछाई भी कबका मेरा साथ | वर्षो की जद्दोजहद के बाद आज आज़ाद हुँ मैं जैसे पुनर्जीवन मिला हो! हालांकि नुकसान भी बहुत हुआ पर खुश हूँ मैं! जैसे वो एक भ्रम था | अब जी रही हूँ मैं अपनी ज़िंदगी, पी रही हूँ इसे किसी ड्रग्स की तरह पसंद है मुझे संगीत में डूबे शब्द खो जाना चाहती हूँ मैं इस संगीतमय राग में पर कभी तो आना होगा इस धुन से बाहर सखि जीवन ऐसे तो नहीं चलता जनाब पेट भरना है तो कुछ तो करना ही पड़ेगा कहि ये दुनिआ मुझे बैरागी न समझ ले हा-हा ! शातिर नहीं हूँ मैं | शब्दों को घूमाना मुझे नहीं आता | हाँ बस खुश हूँ मैं आज ! - मनीषा
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