Jyoti yadav 10 Jul 2023 कविताएँ समाजिक हम बेटी है कोई सामान नहीं है 5237 0 Hindi :: हिंदी
जितना सोचते हो उतना आसान नहीं है हम बेटी है कोई सामान नहीं है जब चाहें जैसे उपयोग में लाओ तुम रौब अपना हम पे दिखाओ तुम इतने गुमनाम नहीं है हम बेटी है कोई सामान नहीं है दिल जिगर जान हममें भी है अस्तित्व मेरा है पहचान भी है दर्द हमको भी होता है दिल मेरा भी रोता है बगिया मेरी भी सुनसान नहीं है हम बेटी है कोई सामान नहीं है हंसने का हक हमको भी है उड़ने के लिए नीला आसमान भी बस पंखों को समेट रखा है पास मेरे हैं मेरा जहान भी बस लड़ने का अरमान नहीं है हम बेटी है कोई सामान नहीं है