मोती लाल साहु 01 May 2023 शायरी समाजिक अपने ही सपनों में, एहसास में उड़ती सी तरंग- उधर ढलने लगा- ढलता गया और ढल गया- अपने ही तनहाइयों में उगता अनंत शांति में ढल गया। 6147 0 Hindi :: हिंदी
अपने ही- सपनों में खोया, एहसास में- उड़ती सी तरंग मैं उधर- ही ढलने लगा ढलता गया- और ढल गया अपने ही- तन्हाइयों में, उगता अनंत- शांति में ढल गया -मोती