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खुद को तू पहचान

संदीप कुमार सिंह 02 Apr 2024 कविताएँ समाजिक मेरी यह दोहा छंद आधारित कविता पाठक गण को अवश्य ही पसंद आएगी. 1585 0 Hindi :: हिंदी

खुद  को  तू   पहचान  कर,उसके  बाद  सँभाल।
और नव्य  उत्साह  से,जीवन  करो  जमाल।।

होगा  सब  सम्भव  यहाँ, करने  वाले  आप।
आज चाँद  पर  हम  जमे,खुद को लघु मत  माप।।

अब मानव  की  शक्ति  से, कौन  बचा  अंजान।
आओ  सीखें   इसलिए, ले  लें  सब  संज्ञान।।

माया भ्रम   पहचान  कर,चाहत रहे  जवान।
आगे - आगे  हम  चलें, मन  में  रहे  उफान।।

बदली  दुनिया  आज  है, बदल  गए  हैं  लोग।
हुए  सभी अब  बेवफ़ा, बुरा  लगा  यह  रोग।।

आज  दिखावे  में  सभी,बने  खूब  कंगाल।
फंसते खुद  के  जाल  में, जिससे बने  हमाल।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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