Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक लिफाफे में बंद प्रेम 7894 0 Hindi :: हिंदी
लिफाफे में बंद प्रेम सरे आम हो गया मन के पीड़ा तन के कष्ट पल भर में उजागर होता था चिठ्ठी नहीं लिखना पड़ता व्हाट्सअप से काम चलता हैं कुशलता पाने के लिए महीनो इंतजार नहीं करना पड़ता पर वो दिन बड़े अच्छे थे हम चिठियों में अपना जज्बात पूरी हालात लिखा करते थे शुरू होता आदरणीय से और खत्म चरण स्पर्श पर पूरा गांव इकठा हो जाता था जब भी किसी की चिठ्ठी आती थी एक पढ़ता बाकि सब हुँकारियाँ भरते थे पढ़ने बाला चटकारे ले पढता और सुनने बाले चटकारे ले सुनते थे पर अब ऐसा कुछ नहीं होता प्रेम पत्र भी अब नहीं लिखना पड़ता व्हाट्सप्प पे ही इजहार होता हैं मान गई तो ठीक वरना ब्रेकअप तत्काल होता हैं अब वो तरुणाई कहा सन्देश में रुबाई कहा डाकिया देख कई सवाल अपने आप ही उमड़ पड़ते थे मन गुद गुदा ने लगते थे थोड़ा डर भी होता था बंद लिफाफे में पर जैसे भी थे पर वो दिन अच्छे थे और प्रेम भी सच्चे थे