Sudha Chaudhary 25 Sep 2023 कविताएँ अन्य 5678 0 Hindi :: हिंदी
सूनी राहे पुकारती है आंसुओं से कहीं गम के पैबंद बिखर जाते हैं यही। रोज उठकर मुझे बुलाओगे कैसे सम्हलेंगे हालत यही टूट कर चूर हुई हूं इतना नहीं है सब्र दिखाऊं कहीं। सुधा चौधरी बस्ती
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