मोती लाल साहु 30 Mar 2023 आलेख समाजिक आत्मज्ञान से,अंतःकरण प्रकाशित हो गया है। 33565 0 Hindi :: हिंदी
खुल गए हैं अब वो हर नजर, जाग उठी चित अब मेरे अंदर। भटका रहा मैं कई-कई जन्म, रूबरू हो गए अब जलवा ए-नूर।। -मोती
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