लगता है कोई बैठा है
कमरे के इक कोने में,घोर घुप्प अंधेरे में
इक भी चिराग नही है रौशन
शायद जख्म अंधेरे से भी गहरा है उसके सीने में।
लगता है कोई बैठा है
कमरे के इक कोने में,घोर घुप्प अंधेरे में
इक भी चिराग नही है रौशन
शायद जख्म अंधेरे से भी गहरा है उसके सीने में।