Ujjwal Kumar 23 Jun 2023 कविताएँ बाल-साहित्य ✌मजेदार अन्दाज मे ✌परिवार तो तब ही बनता है ना ? 7058 0 Hindi :: हिंदी
परिवार तो तब ही बनता है ना ? जब मां लोरी सुनाती है थपकियां दे के सुलाती है हांथ पिता का हम पकड़ कर निश्चिंतता से सो जाते है । परिवार तो तब ही बनता है ना ? परियों की कहानी सुनाती वो दादी की पोपली जुबानी दादा के कंधे पर झूल कर भरे बाजार हो जाएं रवानी । परिवार तो तब ही बनता है ना ? दीदी करें कान पिराई भाई की भी खूब पिटाई झूठ मूठ जब आएं रुलाई मिलें बक्शिश नान खटाई परिवार तो तब ही बनता है ना ? थोड़े गिले थोड़े शिकवे और शिकायत होती है ना ? ढेर सारे प्यार में घुल कर साफ मन को करती है ना ? परिवार तो तब ही बनता है ना ? तू - तू , मैं - मैं के शोर में बंध रिश्तों के जब टूटें ना रिश्ते नातें सब को जोड़ें जब घर को कोई तोड़े ना परिवार तो तब ही बनता है ना ? 🖊स्वरचित लेखन ✍उज्ज्वल कुमार