Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक दुनिया के रंग (रंगीली दुनिया) 46514 0 Hindi :: हिंदी
उल्टी दिशा, उल्टी बयार। हे दुनिया, तेरे रंग हज़ार। आतंकवादी, शांति का पाठ पढ़ाते हैं। रिश्वतख़ोरी खून में, ईमानदारी सिखाते हैं। गद्दार, देशभक्ति झलकाते हैं। हो न सकी परीक्षा पास, अधिकारी बनाते हैं। बेवफा सिखाते, सच्चा प्यार। हे दुनिया, तेरे रंग हज़ार। कर्त्तव्यबोध कराते हैं, कामचोर। योगी बने राजभोगी, नज़र कुर्सी की ओर। आशाराम ने पकड़ रखी है, धर्म- मर्म की डोर। शक्ति संवर्द्धन दवा बेचते, ख़ानदानी कमज़ोर। नास्तिक, बनाते मंदिर मज़ार। है दुनिया, तेरे रंग हज़ार। कुआरे, चलाते घर परिवार। तंत्र- मंत्र से बेवकूफ़ बनाते, जो पढ़े पांचवीं दो बार। जंगल का राजा बनने का, राज़ सिखाता है सियार। राजनीति के राज़ सिखाते, जो बन न सके पंच एक बार। चरित्र का पाठ, सिखाती कुलटा नार। हे दुनिया, तेरे रंग हज़ार। उल्टी दिशा, उल्टी बयार। हे दुनिया, तेरे रंग हज़ार।