Bholenath sharma 02 Jan 2024 कविताएँ समाजिक इस जीवन में सिर्फ ये नहीं है कि खाओ पियो और घूमो टहलो बस यही जिंदगी है। कुछ तो की आने वाली पीढ़ी जाने की पुरखे कैसे थे। 5374 1 5 Hindi :: हिंदी
जो पाया वो जापा जीवन मैं , कूछ मिटाते हम रह गये । कर न सके कुछ इस जीवन मैं , व्यर्थ समय बिताते रह गये । वे क्या जानेंगे कि , कि मेरे पुरखे क्या थे। गर छोड़ निशानी गये नहीं , वे जानेंगे कैसे की वे क्या थे। कैसे जिया उन्होंने जीवन , कैसे जी कर गये है वो । कुछ संघर्ष करोगे जीवन में यदि , कैसे जीना इस जीवन में सिखा गये है वो
3 months ago