नीतू सिंह वसुंधरा 12 Oct 2023 कविताएँ समाजिक नीतू सिंह वसुंधरा 28277 1 5 Hindi :: हिंदी
प्रेम से जिसने जग को मोह लिया, आपने पिता के वचनों के खातिर, राज -पाठ से भी मुंह मोड़ लिया, 14 वर्ष वनवास किया, हर कठिनाई से लड़ने का प्रयास किया.....है! मनुष्य तुम ऐसे राम बन पाओगे क्या ? वह ईश्वर था होनी को टाल सकता था, आपने पिता की मृत्यु सीता हरन को रोक सकता था.. नही किया उसने ऐसा कुछ कारण कभी सोचा है ? न दशरथ ने कैकई को वचन दिया होता .. न चौदह वर्ष वनवास हुआ होता.. न सीता का हरड़ हुआ होता.... न रावण के अभिमान का अंत हुआ होता... रावण के जैसा बुद्धिमान पूरी धरती पे कोई न था । उसके जैसा शक्तिसाली पूरे ब्रह्मांड में कोई न था उसके जैसा शिव भक्त आज तक पूरे इतिहास में कोई न बना..... वह रावण था जो आपने बहन के अस्तित्व के खातिर स्वयं ईश्वर से भी लड़ पड़ा था... इतना परिपूर्ण होने के बाद भी उसका अभिमान उसके मौत का कारण बना .... दर्द से कराह रहा था पल पल मौत की तरफ जा रहा था .. उसने आखिरी सांस लिया बहुत देर हो चुकी थी जब उसने आपने गलती का एहसास किया ...... पूरे ब्रह्मांड में परिपूर्ण होने के बाद भी वह रावण था जिसके मौत का कारण उसका अभिमान बना ...... हे! मनुष्य तू राम न सही रावण बन .... उसके जैसा भक्त , बुद्धिमान, शक्ति शाली बन .. पर तू उसके जैसे अहंकार की नदिया में डूब न जाना ..... क्योंकि जिस दिन तू अहंकार में डूब जायेगा ...फिर किसी राम का जन्म होगा और वो तुझे जला के चला जायेगा ..... यह सत्य है जिस दिन तू इस अहंकार से मुक्त हो जायेगा ...तू रावण होते हुए भी राम बन जायेगा ... तू रावण होते हुए भी राम बन जायेगा ..।
6 months ago