Shyama Chandrakar Monalisa 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत प्यार प्रेम तन्हा 17113 1 5 Hindi :: हिंदी
तन्हा सा पा जब भीड़ में सोचा कोई अपना नहीं तकदीर में एक दिन अचानक ही तो मिले तो लगा कुछ खास था, हाथों की लकीरों में क्योंकि वो लकीरें तेरे मेरे दिल की धड़कन बन गई बिना ख्वाबों के नींदें थीं, बिना यादों के जी रहे थे मेरे सूने मन के आंगन में रिमझिम फुहार बन गए एक दूसरे के दिल में बस गए, जैसे सांसों में बसे ख़ुशबू हमसफ़र बन गए हम यूं ही चंद मुलाकातों से मोहब्बत दिल की धड़कन बन गई दिल भी कभी धड़कन से जुदा हो पाया है कभी मेरे हमसफ़र हम-कदम बन के साथ चलना है जिन्दगी में मंजिल को पाना है मुकाम चाहे जो आए राहें जिन्दगी में अब ये साथ हमारा कभी ना छूटे चाहे रब रूठे पर तु ना कभी रूठे मोनालिसा
1 year ago