Preeti singh 22 May 2023 कविताएँ समाजिक खूनी हो गया खून का प्यासा 6120 0 Hindi :: हिंदी
मेरे मन में एक सवाल आया कैसे मन ने इंसान को गुलाम बनाया । मन वश में कर न सके, अपनों के साथ रह ना सके। खून ही हो गया खून का प्यासा अब किसी और से क्या रह गई आशा।
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