Sudha Chaudhary 17 Jul 2023 ग़ज़ल अन्य 11314 0 Hindi :: हिंदी
जिंदगी मुझको रुलाया ना कर मेरे गम के करीब आया ना कर। अंधेरा चीर गया है मेरे दिल को जले चिरागों को बुझाया ना कर। मुफलिसी मे जो तुम्हें याद किया करते थे रकीब बनके मेरे घर कभी आया न कर। तुम्हारे दीद को तरसती रही है आंखें मेरे कांधे से सर हटाया ना कर। ताब थी तुमने जो अब नहीं मुझ में मेरे भीतर से कुछ बताया ना कर। लफ़्ज़ों के आईने से हम जलते है मुझको पाकर सब गवाया ना कर। सुधा चौधरी बस्ती