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खुद से बात.......

Neha bansla 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #womens #freedom # society # poems#motivational # girls #success # support # sahitya # udaan 13473 0 Hindi :: हिंदी

हां माना औरत हूं मै समाज की बेड़ियों से बंधी नायाब शौहरत हुं,मैं तो चलो एक मुलाकात ख़ुद के साथ हो जाए, एक कोशिश ज़माने के साथ हो जाए पर उलफत ये ज़माना भी मुझे क्या जानेगा क्योंकी शुद्धता और सादगी का प्रमाण हु मै।
किसी ने कहा बहुत ठोस हो तुम तो किसी ने कहा तुम्हारे लहज़े में नरमी बहुत ज्यादा है मैंने हंसकर कहा सुन रुप्त_ ए_ जमाने इस नरमी को मुंतजीर करने का मेरा इरादा है।
मेरे रूप बहुत सदा से मत करना शक्ति का उल्लेख ना बेचारी,ना अबला, अपने व्यक्तित्व के प्रतिष्ठा का श्रृंगार हूं मैं तो चलो एक इस श्रृंगार से रुबरु मेरा सार हो जाए एक मुलाकात ख़ुद के साथ हो जाए।
करके घाव मेरी अश्मत पर सदियों से पुरुष समाज में प्रधान कहलाए आवाज़ उठाऊं तो अश्लील और ना उठाऊं तो चरित्रहीन हूं मै, तो चलो उठाकर आवाज आसमान की सैर कि जाए एक मुलाकात ख़ुद के साथ हो जाए।
अब ज़माने से की गई कोशिश रंग लाई उड़ जा परिंदे इन बेड़ियों को तोड़ने की बारी आई क्योंकि एक नया सवेरा स्त्री समाज में लाईं।
किसी ने कहा पतंग हो तुम कितना भी उड़ लो उड़ने के बाद कचरे के डब्बे में ही जाना है मैंने हंसकर कहा कि कचरे में जाने से पहले आसमानों को तो छुने दो क्योंकी जो कचरे में पड़ी पतंग को भी आसमान की सैर करा दे वो आवारा हवा हूं मै, तो चलो इन पतंगों से आसमा भर दिया जाए एक मुलाकात ख़ुद के साथ हो जाए।

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