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सुख दुख हैं मेहमान-स्वागत करना काम

संदीप कुमार सिंह 08 May 2023 कविताएँ समाजिक मेरी मां कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5101 0 Hindi :: हिंदी

सुख दुख हैं मेहमान जी,स्वागत करना काम।
दो ही पहलू सत्य है,कभी सुबह तो शाम।।

सुख दुख हैं मेहमान जी, सही सिखाते मर्म।
सुख में भी प्रभु मैं भजूं,अति सुन्दर यह धर्म।।

सुख दुख हैं मेहमान जी,विधि का   यही विधान।
दोनों में ही सम रहें,अनुपम यही निदान।।

सुख दुख हैं मेहमान जी,रहें सदा तैयार।
पल पल का कर सामना,प्रेम अडिग हथियार।।

सुख दुख हैं मेहमान जी,चलें निभाते रीत।
खुशियों से हम रक्स कर, करें अमर यह प्रीत।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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