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माया ममता मोह में-जीवन हो बर्बाद

संदीप कुमार सिंह 07 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4721 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
माया ममता मोह में, जीवन हो बर्बाद।
इन सबको अब त्याग कर, खुद को कर लें साद।।

माया ममता मोह में, लगते हैं नित पाप।
भक्ति राह पे मन चलो, जन्म सफल कर आप।।

माया ममता मोह में, उलझा है संसार।
खुद पर भी वश है नहीं, बने मनुज लाचार।।

माया ममता मोह में, मिले मुक्ति मत यार।
जीवन चक्र में रह लगें,कुछ कर लें उपचार।।

माया ममता मोह में, मिला नहीं कुछ लाभ।
अन्त काल में दुख हुआ,विवश हुए अमिताभ।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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