Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद 6178 0 Hindi :: हिंदी
⭐ कविता = ( अदाकारी ) सीख न पाया मैं अदाकारी ! मेरी गलती मुझ पर भारी !! मेरे ख़ूॅं में नहीं ग़द्दारी ! मिली विरासत में ख़ुद्दारी !! अब चला दौर मक्कारी ! मेरी यही है लाचारी !! सीख न पाया मैं अदाकारी ! मेरी गलती मुझ पर भारी !! रूप बदलना गर जो आता ! मैं भी सबको खूब लुभाता !! इस रंगमंच के सब हैं खिलाड़ी ! हम तो निकले यार अनाड़ी !! आ न पाई ये कलाकारी ! इस कला के सब हैं पुजारी !! सीख न पाया मैं अदाकारी ! मेरी गलती मुझ पर भारी !! रंग बदलना न मुझे आया ! मौसम माफ़िक़ न ढ़ल पाया !! रंग दुनिया का न चढ़ पाया ! रंग में अपने न रंग पाया !! रंग बदलती दुनिया सारी ! रंगों की सब पर छाई ख़ुमारी !! सीख न पाया मैं अदाकारी ! मेरी गलती मुझ पर भारी !! दोहरी ज़िंदगी न समझ आई ! उनकी लिखावट न मेल खाई !! बनावट से बनाई मैंने दूरी ! थोड़ी जी पर जी ली पूरी !! खुली किताब रही हमारी ! सबने पढ़ ली बारी - बारी !! सीख न पाया मैं अदाकारी ! मेरी गलती मुझ पर भारी !! सच का मुझको रोग लगाया ! झूठ बोलना क्यों न सिखाया !! सच से अब दिल घबराया ! सच से ही मैं हुआ पराया !! झूठों की दुनिया रह गई सारी ! झूठ के आगे सच्चाई हारी !! सीख न पाया मैं अदाकारी ! मेरी गलती मुझ पर भारी !! विपिन बंसल