ASHWANI PANDEY ( ADVOCATE ) 30 Mar 2023 आलेख समाजिक पिता की भावनाएं 20390 0 Hindi :: हिंदी
पिता की भावनायें माँ को गले लगाते हो, कुछ पल मेरे भी पास रहो ! ’पापा याद बहुत आते हो’ कुछ ऐसा भी मुझे कहो ! मैनेँ भी मन मे जज़्बातोँ के तूफान समेटे हैँ, ज़ाहिर नही किया, न सोचो पापा के दिल मेँ प्यार न हो! थी मेरी ये ज़िम्मेदारी घर मे कोई मायूस न हो, मैँ सारी तकलीफेँ झेलूँ और तुम सब महफूज़ रहो, सारी खुशियाँ तुम्हेँ दे सकूँ, इस कोशिश मे लगा रहा, मेरे बचपन मेँ थी जो कमियाँ, वो तुमको महसूस न हो! हैँ समाज का नियम भी ऐसा पिता सदा गम्भीर रहे, मन मे भाव छुपे हो लाखोँ, आँखो से न नीर बहे! करे बात भी रुखी-सूखी, बोले बस बोल हिदायत के, दिल मे प्यार है माँ जैसा ही, किंतु अलग तस्वीर रहे! भूली नही मुझे हैँ अब तक, तुतलाती मीठी बोली, पल-पल बढते हर पल मे, जो यादोँ की मिश्री घोली, कन्धोँ पे वो बैठ के जलता रावण देख के खुश होना, होली और दीवाली पर तुम बच्चोँ की अल्हड टोली! माँ से हाथ-खर्च मांगना, मुझको देख सहम जाना, और जो डाँटू ज़रा कभी, तो भाव नयन मे थम जाना, बढते कदम लडकपन को कुछ मेरे मन की आशंका, पर विश्वास तुम्हारा देख मन का दूर वहम जाना! कॉलेज के अंतिम उत्सव मेँ मेरा शामिल न हो पाना, ट्रेन हुई आँखो से ओझल, पर हाथ देर तक फहराना, दूर गये तुम अब, तो इन यादोँ से दिल बहलाता हूँ, तारीखेँ ही देखता हूँ बस, कब होगा अब घर आना! अब के जब तुम घर आओगे, प्यार मेरा दिखलाऊंगा, माँ की तरह ही ममतामयी हूँ, तुमको ये बतलाऊंगा, आकर फिर तुम चले गये, बस बात वही दो-चार हुई, पिता का पद कुछ ऐसा ही हैँ फिर खुद को समझाऊंगा!
1.MA (GEOGRAPHY) 2.UGC/NTA/NET (QUALIFIED) 3.UPSC/UPPCS (PREPRATION) 4.UPSC( INTERVIEW)2 TIMES ...