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डिप्रेशन यह मुद्दा भी कोई आम मुदा नहीं है

Pinky Kumar 30 Mar 2023 आलेख दुःखद 8224 0 Hindi :: हिंदी

डिप्रेशन यह मुद्दा भी कोई आम मुदा नहीं है। हमसे और आपसे जुड़ा एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा है। जिसे हम और आप अन्देखा कर रहै है। डिप्रेशन यह बिमारी कोई आम बिमारी नहीं है। यह क्रैसर से भी घातक बिमारी है। कैंसर में यह तो पता होता है। कि इंसान नहीं बचेगा पर यह बिमारी इंसान को अन्दर से पुरा खत्म कर डालती है वो भी जिते जी एक तरह से में बोलू कि इंसान दिमाकी तोर से अपाहिज हो जाता है। इसमे शरीर तो काम करता है। पर दिमाक काम नहीं कर पाता उसे समझमें नहीं आता कि वो आखिर क्या करे वो अपने आपको जाननेसे इनिकार कर देता है। आखिर में हूँ कौन मुझे क्या करना है। मरे प्रति क्या कर्तव्य है। वो करना तो बहुत चाहता है। अन्दर से और दिमाकी तोर पर वो एकदम कमजोर महसुस करता है। और इस बिमारी में दवाईया एक नशे कि तोर पर काम करती है। इस बिमारी का कोई ठोस और मजबूत समाधान नहीं मिल पा रहा है। आखिर इतना तेजी से यह क्यों पढ़ रही है। और हर वर्ग के लोगों में बढ़ रही है। एक तरह से में कहुँ कि जन्मते बच्चों में भी यह बिमारी देखी जा सकती है। यह बिमारी भावनाओं और विचारो कि लड़ाई है। इंसान का हद से ज्यादी भावनात्मक होना और काल्पनिक विचारों में खोया रहना अपने अन्दर एक ऐसी दुनिया बना लेना जो सच नहीं होती है। वो सोचता जरूर है। में यह करल लुगा पर वो हकित से काफी दूर होता है। जब वो उस कार्य करने लगता है। तो वो कर नहीं पाता है। अब में इस बिमारी के लक्षणों कि बात करूगी पहला लक्षण =) इसका मुख्य कारण है। भूख ना लगना और निद ना आना अचानक ज्यादा भूख लगना कभी अचानक भूख बन्द हो जाना कभी ज्यादा सोने तो कभी अचानक निंद आना बन्द हो जाना और निदा ना आने का मुख्य कारण विचारो का अधिक होना पुरानी बाते याद आना उनके बारे मे बार - बार सोचना इस बिमारी में मरीज सबसे ज्यादा एक भुत काल और भविष्य दोनों कि बातो को लेकर अधिक उलझा हुआ रहता है। =) दुसरा कारण शरीर का ऊर्जा स्तर गिरना भूख और नींद बन्द होने से शरीर कमजोर होता जाता है। और इसका असर दिंमाक पर होता है। इससे दिंमाक में गैस बन्ने लगती है। जिस्से हमें सर दर्र कि बिमारी से भी झुझना पड़ता है। और इस हालत में हम कुछ भी सोचते है। या ज्यादा सोचते है। तो भी हमारा सिरदर्द होना शुरू हो जाता है। में कहुँ कि ओवरथिंकिंग होना भी इसका मुख्य कारण है। कैसे होना इसके बारे मेने ऊपर लिख दिया है। मरीज भुत और भविष्य कि बातो को लेकर चिन्ता करने लगता है। =) तीसरा कारण एकाग्रता का खत्म होना किसी भी कार्य को लेकर हमारे अन्दर से एकाग्रता खत्म हो जाती है। जैसे कि हम सोचते है। कि यह काम में कुछ समय में पुरा कर दुगा पर अचानक वह उस कार्य को नहीं कर पाता में कहुँ कि दिमांक के विचारो का बदलना चौथा कारण =) दैनिक व्यवहारो का बदलना आत्मसम्मान से जुड़े विचारो का अधिक होना यह बिमारी हमें आत्महत्या जैसे विचारो से उकसाती है। ,निराश होना अवसाद होना, =) पाँचवा कारण कभी खुशी कभी गम इसमें बिमारी में मरीज कभी तो इतना खुश होता है की उसे लगता है। कि उसे दुनिया कि सारी खुशी मिल गई है। कभी इतना दुःखी कि उसे लगता है की उससे ज्यादा दुःखी और कोई नहीं है। भगवान ने सारे दुःख मुझे ही क्यों दिये , हर समय अपनी बीमारी को लेकर चिंता करना लोगों को बताना कि मुझे यह बीमारी है।, हर समय गंभीर बने रहना अवसाद, चिन्ता, करना, बिना किसी कारण के गुस्सा आना, हर समय चिड़चिड़ा रहना , सामाज के लोगों से और सामाजिक गतिविधियो में रुचि ना होना और अपने आपको उनसे अलग समझ लेना या एकेला रहना यही कारण उन्हें आत्महत्या करने में मजबूर बना देती है।, सहन सीलता खत्म हो जाना किसी भी प्रकार बात हो या किसी भी प्रकार कि परिस्थिती हो उन्हें वह सहन नहीं होती चाहें वो ज्यादा खुशी हो या ज्यादा दुःख उन्हें सहन नहीं होता, अनिद्रा नींद नहीं आना इसका मुख्य कारण है। यह बीमारी शुरु होती है। निंद ना आने से और अगर निंद आती है। तो बैचेनी भरी निंदा आती है। या समय से पहले ही उठ जाना पूरे शरीर में बैचनी, घबराहट बने रहना, किसी अनहोनी होने कि चिंता करते रहना, थकान और बैचेनी बने रहना, बिना किसी कारण के रोते रहना अब सारे कारण में एक साथ लिख देती हुँ =) नींद ना आना, भूख ना लगना, रोते रहना, अपने आपको लोगों से अलग कर लेना, सामाजिक गतिविधियों में भाग ना लेना, चिड़चिड़ापन, गुस्सा होना, कभी - कभी अत्यधिक भूख लगना, मन उदास रहना, उत्तेजना जनक विचारो का आना, अपने आपको दुसरो से कम समझना, अपने आपको अपरीधी समझना, एकाग्रता में  कमी होना, किसी भी कार्य को लेकर आनंद ना आना, और हद से ज्यादा भावनात्मक होना, और फोन को उपयोग आवश्यकता से ज्यादा इस्तेमाल करना ,ऐसे ना जाने तमाम कारण और लक्षण होगे जो इस बिमारी को बढ़ावा देते है। आज के युवाओं को हर चिज तय समय से पहले और बिना किसी मेहन के चहीय होती है। इसका कारण हैं। कि उनमें पेशेंस बिल्कुल खत्म सा होगया है  पहले के समय में चाहे वो वस्तु हो या पद हो पाने के लिये लोग मेहनत किया करते थे। और आज कल के माता पिता अपना पिछा छुड़ाने के लिये वही वस्तु बच्चे को आसानी से लाकर देदेते है। तो बच्चों में उस वस्तु कि किमत वही खत्म हो जाती है। उन्हें बिना किसी मेहनत के मिल जाती है। फौन में ना जाने ऐसी तम्मा विडियो जो बच्चों को नहीं देखनी चाहिये वो समय से पहले उन्हें पता चल जाती फिर वह भी उसकी मांग करने लगते है। चाहें वो गलत ही क्यों ना हो डिप्रेशन बीमारी कोई आम बीमारी नहीं है। और आज के समय में यह बहुत ज्यादा फैल रही है। जिसे हम और आप अन्देखा कर रहे रहे और यह बीमारी कोई अचानक नहीं होती इसके लक्षण बच्चपन से देख लिये जाये तो सही समय पर इसका ईलाज करवाना बहुत जरूरी है। और हमें डॉक्टस का धन्यवाद कहना चाहियें कि उन्हेंने हमें जिंदा कर रखा है। इस बिमारी कि भी दवाईये बन्ने लगी रहे इन दवाईयों के सहारे हम अपना जीवन आसानी से जिरहे है। में तम्माम डॉक्टर्स को दिल से धन्यवाद कहती हुँ कि आपने इस बीमारी शुरू होने से पहले आपने डिप्रेशन जैसी बीमारी कि दवाई का अविष्कार कर लिया वरना हमारे जैसे मरीजो को कौन बचाता धन्यवाद डॉक्टस💕

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