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श्री कृष्ण भगवान जी

Uma mittal 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक श्री कृष्ण जन्माष्टमी 20128 0 Hindi :: हिंदी

                                
नंद के आनंद भयो
जय कन्हैया लाल की |
हाथी घोड़ा पालकी
जय कन्हैया लाल की ||
श्री हरि विष्णु भगवान ने त्रेता युग में श्री राम बनकर धरती पर अवतार लिया और फिर द्वापर युग में श्री कृष्ण बनकर धरती पर आए | उनका लक्ष्य ही मानव कल्याण और धर्म की रक्षा था | दोनों ही अवतार में भगवान ने मानव कल्याण के लिए अति भयंकर राक्षसों, जिन्होंने वरदान पाकर धरती क्या स्वर्ग पर तक आतंक मचाया हुआ था , जिन को मारना ही असंभव था ,उनका संघार किया | श्री कृष्ण भगवान का जन्म भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में रात्री के 12 बजे हुआ था | श्री हरि विष्णु भगवान की तपस्या करके ,कितने ही भक्तों ने भगवान को पुत्र रूप में मांगा , कितने ही भक्तों ने भगवान को पति रूप में मांगा ,कितने ही भक्तों ने उनकी सच्ची भक्ति मांगी और कितने भक्तों ने उन्हें भाई रूप में मांगा | जब श्री राम भगवान सीता माता से विवाह करने दूल्हे रूप में आए थे तो वह इतने सुंदर दिख रहे थे कि बहुत सी वहां उपस्थित लड़कियों ने मन ही मन में इच्छा जताई कि “काश उनका वर भी श्रीराम जैसा हो “|श्री विष्णु भगवान द्वापर युग में श्री कृष्ण बनकर आए तब उनकी 2 माताएं थी ‘क्योंकि दोनों ने यह वरदान मांगा हुआ था कि श्री हरि विष्णु उनके पुत्र रूप में उन्हें मिले | एक बार नरकासुर नाम के राक्षस ने बहुत आतंक मचाया हुआ था |यहां तक की उसने 16000 लड़कियों का अपहरण करके अपनी कैद में रख लिया था | उसका मानना था कि इन की बलि देकर वह अमर हो जाएगा | श्री कृष्ण भगवान उसे मारने के लिए अपनी पत्नी सत्यभामा जी के साथ गए और नरकासुर का वध किया और 16000 लड़कियों को उस राक्षस की कैद से मुक्त करवाया और उन लड़कियों को अपने घर जाने के लिए कहा पर उन लड़कियों ने बताया कि “कुछ के तो परिजनों को राक्षस ने मार डाला है और कुछ समाज के डर से उन्हें अपनाना नहीं चाहते |इसलिए वह कहां जाएंगी ?” तब उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से विनती की कि ” कृपा करके ,आप ही हमें अपनाले और हमारा उद्धार करें”| तब श्री कृष्ण भगवान ने अपनी पत्नी सत्यभामा जी के कहने पर उन लड़कियों को स्वीकार कर लिया और खुद उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी ले ली | इसी प्रकार गोकुल में जो गोपियां थी जिन्होंने श्री कृष्ण भगवान की सच्ची भक्ति मांगी थी उन्होंने श्रीकृष्ण भगवान से पाई |तात्पर्य यह है कि भगवान श्री हरि विष्णु जी धरती पर जब श्री कृष्ण रुप में आए तो उन्होंने अपने एक ही इस अवतार में कई भक्तों की इच्छा एक साथ पूरी की | श्री कृष्ण भगवान जी इतने भक्तवत्सल रहे कि उन्होंने अपने हर भक्त की इच्छा पूरी की | श्री रुक्मणी जी जो साक्षात श्री लक्ष्मी जी का स्वरूप थी ,जिनका विवाह शिशुपाल से होने जा रहा था ,उन्होंने श्री कृष्ण जी को पत्र लिखकर अपने विवाह का प्रस्ताव भेजा | तब श्री कृष्ण जी ने उसी वक्त रुकमणी जी के पास पहुंचकर ,शिशुपाल को पराजित करके श्री रुक्मणी जी से विवाह किया क्योंकि उनका तो जन्म जन्म का साथ था | इससे श्री कृष्ण भगवान के युद्ध कौशल का पता चलता है | गोकुल में यशोदा मैया और नंद बाबा के घर में दूध मक्खन की कमी ना होते हुए भी ,वह दूसरों के घरों से मक्खन चुरा कर अपने मित्रों में जो वह बांटते थे वह भी , गोपियों की सच्ची भक्ति का ही फल था | वैसे भी श्री कृष्ण जी के , उनके घरों में पैर रखते ही दूध मक्खन और अधिक बढ़ जाता था |गोपियों को भी कृष्ण जी अगर उनके घर में ना आए तो चैन नहीं पड़ता था | श्री कृष्ण भगवान जी इतने सुंदर मनमोहक थे कि सारी दुनिया उन पर मोहित हो ही जाती थी |छोटे होते ही उन्होंने बहुत सारे राक्षसों का वध किया | 12 साल की उम्र में उन्होंने कंस को मारकर अपने माता पिता देवकी मैया और पिता वासुदेव और अपने नाना जी को कारागार से निकलवाया | जब शिक्षा लेने भगवान कृष्ण जी, अपने दाऊ भैया बलराम जी के साथ उज्जैन संदीपनी मुनि आश्रम में गए , तो उन्होंने 64 कलाएं (विद्या )64 दिनों में सीख कर अपने गुरु को भी आश्चर्यचकित कर दिया और गुरु माता को तो उन्होंने उनका खोया हुआ पुत्र लाकर दिया जो कि असंभव कार्य था | जिससे गुरु माता और उनके गुरु दोनों गदगद हो गए | उन्होंने सुदामा से मित्रता की भी बड़ी अद्भुत मिसाल दी और भगवान ने समय-समय पर जो भी लीलाए दिखाई ,जिसके आगे संसार नतमस्तक है | आज भी वृंदावन के निधिवन में भगवान श्री राधा और गोपियों सहित हर रात को रास रचाते हैं | मथुरा श्री कृष्ण भगवान की जन्म भूमि को कोटि-कोटि नमन है | जय श्री राधे कृष्णा की |
उमा मित्तल |
राजपुरा (पंजाब)





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