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तुम...

Uday singh kushwah 30 Mar 2023 कहानियाँ प्यार-महोब्बत 152002 4 5 Hindi :: हिंदी

तू...मुझे मिल न पायी,
    सौभाग्य से...।
        इसीलिए तो रोज
           मिलता हूँ,यादों में...।

नहीं तो तुम-हम,दूर-दूर
    होते इस स्वार्थी जमाने में...।
         जो तुमने... मेरी हथेली
              पर,वेल-वूटे वनाये थे...।

उनमें अब फूल 
    निकल आये हैं...।
        जब तुम्हारी...याद आती है
            तो...।

मैं...अपनी हथेलियों को
    सूंघ लेता हूँ...।

           यू.एस.बरी
लश्कर,ग्वालियर,म.प्र.

Comments & Reviews

Shveta kaithwas
Shveta kaithwas Behad khubsurat

1 year ago

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Uday singh kushwah
Uday singh kushwah वाहह बहुत सुंदर सृजन जी

11 months ago

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Uday singh kushwah
Uday singh kushwah वाहह बहुत सुंदर सृजनकार है सर जी जी

11 months ago

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Uday singh kushwah
Uday singh kushwah वाहहहह

11 months ago

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