Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

लघुकथाःः वर्क एट होम

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 कहानियाँ अन्य वर्क एट होम 87288 0 Hindi :: हिंदी

लघुकथाःः
वर्क एट होम
साधना वर्क फ्राम होम से निपटी और निढाल होकर बिस्तर पर पड़ गई। तभी उसका दस वर्षीय बेटा कहीं से आया और मैगी की फरमाइश किया। 
वह उठी और किचन में गई ही थी कि उनके ससुर की आवाज हवा में लहराई,‘‘बेटा साधना, मेरे लिए भी चाय बना देना। लगता है तुम्हारी मां छत पर गई है। वह पड़ोसवाली आंटी से घंटों बात किए बिना नीचे उतरनेवाली नहीं है।’’ 
तभी कमरे में पढ़ रही 8 वर्षीय बेटी भी बोल पड़ी,‘‘ममा, मेरे लिए भी चाय।’’ पति विजय भी आफिस से आया और चाय की ख्वाहिश कर बैठा।
पति, बेटा-बेटी और उसके ससुर एक जैसी कड़ी-मीठी चाय पीते थे। वह और सासू मां गुड़ की चाय पीती थीं। वह बेटे के इच्छानुसार मैगी और सभी के लिए चाय बनाकर दे दी। 
फिर एक चाय टेª में लेकर छत पर चढ़ने लगी। वह छत पर आधी चढ़ी ही थी कि उसके कानों में पड़ोसवाली आंटी की आवाज गूंजी,‘‘अब तो आराम हो गया होगा आपको?
‘‘अरे, काहे का आराम? सासू मां जवाब दे रही थी,‘‘दिनभर वही काम। कभी ये देखो, कभी वो देखो। इसी में दिन कैसे बीत जाता है? पता ही नहीं चलता।’’
वार्ता सुनकर साधना के पांव ठिठक गए। पड़ोसवाली अंटी कह रही थी,‘‘अरे, क्या बोलते हैं उसको, जो घर में रहकर आफिस का काम...किया जाता है। अरे हां, याद आया। वरक फराम होम। वही न। साधना वही करती होगी आजकल।’’
‘‘हां करती तो है। दिनभर लेपटाप और मोबाइल में लगी रहती है। तभी तो उसका घर में रहना, नहीं रहना एक समान हो गया है।’’ सासू मां की वाणी में नाराजगी साफ झलक रही थी।
‘‘बहू के जाब करने से यही तो परेशानी है विजय की मम्मी। मेरे यहां भी तो दिनभर बेटा-बहू लेपटाप और मोबाइल में डूबे रहते हैं। कामवालियां आती हैं और काम कर चली जाती हैं। फिर हमें क्या चिंता?’’ पड़ोसन अंटी बेफिक्री से बोली।
‘‘चिंता कैसे नहीं? उसके बाद भी तो घर में ढेरों काम रहते हैं।’’ सासू मां बोल रही थी।
साधना व्यवहारिक थी। उसको लगा कि इनकी बातें तो यूं ही चलती रहेंगी। वह चाय लेकर छत पर गई, तो उसे देखकर दोनों पड़ोसन झेंप गईं।
वह चाय टेबल पर रखी और नीचे उतरने लगी, तो सासू मां की आवाज गूंजी, ‘‘चाय ठंडी हो गई है। जाने कब से बनाकर रखी थी।’’ 
उसका नीचे उतरना था कि उसकी ननद का फोन आया,‘‘मम्मी कहां है भाभी? वह फोन नहीं उठा रही है। मैं वर्क फ्राम होम में घर का काम करूं कि आफिस का। घर का काम न करूं, तो घरवाले नाराज हो रहे हैं। आफिस का काम न करूं, तो आफिस वाले। इससे बेहतर तो आफिस में जाकर काम करना है भाभी।’’
‘‘सो, तो है।’’ साधना बोली,‘‘तुम एक करो। कार उठाकर यहीं आ जाओ। यहीं एक साथ वर्क एट होम करेंगे। तुम्हारे आने से सभी को अच्छा लगेगा।’’
‘‘ठीक है भाभी। आप कहती हैं, तो कल सुबह निकलती हूं। शाम तक पहुंच जाऊंगी।’’...और नेहा का फोन कटआफ हो गया।
ऐसा कहते-कहते साधना को सहसा याद आया कि उसके मायके वालों ने भी उसे खूब बुलाया कि यहीं आ जा। यहीं रहना और घर बैठे आफिस के काम करना, लेकिन, वह परिवार का देखभाल करने के खातिर नहीं गई। 
कहती रही कि लाकडाउन जाने कितने दिन का है? समय लंबा लग गया, तो ससुराल परिवार की देखभाल कौन करेगा? यहां तो सबको सहारे की जरूरत है।
उसकी और नेहा की बात सुनकर सासू मां सहित सारा परिवार वहां इकट्ठा हो गया और पूछने लगा कि नेहा कब आ रही है? बुआ के आने से बड़ा मजा आएगा। अकेले आ रही है या बच्चों को भी ला रही है। आदि-आदि।
सासू मां इसलिए नीचे नहीं आई कि उसकी चाय पानी बन गई थी, बल्कि इसलिए नीचे आई कि उसको आभास हो गया था कि उसकी कड़वी बातें बहू सुन ली होगी। वह साधना के बारे में पड़ोसन से संवाद कर आत्मग्लानि महसूस कर रही थी। 
साधना सोच रही थी-वर्क एट होम किसी के लिए साधना है, तो किसी के लिए परिवार की आराधना। यह कहीं मेल-मिलाप बढ़ा रहा है, तो कहीं अलगाव और विलगाव ला रहा है। यही तो कोरोनाकाल का सजा और मजा बन गया है।
				--00--
अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला veerendra kumar dewangan से सर्च कर या पाकेट नावेल के हिस्टोरिकल में क्लिक कर और उसके चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर कर लेखक को प्रोत्साहित किया जा सकता है। आपके सहयोग की प्रतीक्षा रहेगी।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

लड़का: शुक्र है भगवान का इस दिन का तो मे कब से इंतजार कर रहा था। लड़की : तो अब मे जाऊ? लड़का : नही बिल्कुल नही। लड़की : क्या तुम मुझस read more >>
Join Us: