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बेटी है अनमोल अति-बेटी है अनमोल अति जिससे है संसार

संदीप कुमार सिंह 05 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 8158 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
बेटी है अनमोल अति,जिससे है संसार।
धरा दिव्य गुलजार है,इनको भी दो प्यार।।

मातु पिता की लाडली, बेटी है सौगात।
इनको खुशियाँ दें सदा, कोमल इनकी गात।।

बेटी से परिवार में,रहे चाँदनी खास।
जगमग जगमग है धरा,तोड़ें कभी न आस।।

बिन बेटी जीवन नहीं,इनसे जीवन ज्योति।
दिल को कभी न तोड़ना,बेटी हैं अरु मोति।।

जोड़े दो परिवार को,बेटी ऐसा रत्न।
देती है यह एकता,करती कुशल प्रयत्न।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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