संदीप कुमार सिंह 04 May 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5539 0 Hindi :: हिंदी
नफरत बढ़ती जा रही,क्योंकि सभी में लोभ। सब अपना ही देखते,औरों से कर क्षोभ।। नफरत बढ़ती जा रही, खुद में है जो मस्त। अपनों को पूछे नहीं,समझे सदा अनस्त।। नफरत बढ़ती जा रही, यार आजकल खूब। पिता पुत्र में मेल मत, सभी मजे में डूब।। नफरत बढ़ती जा रही,खतरनाक यह रोग। एक दिवस ऐसा लगे,जीवन यह है सोग।। नफरत बढ़ती जा रही, घर घर में तकरार। लोग लोग समझे नहीं,गम में हैं सब यार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....