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संघर्ष और समाज-संघर्ष के बाद समाज कि स्थिति असंतुलित

संदीप कुमार सिंह 23 Nov 2023 आलेख समाजिक मेरा यह आलेख समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगें। 11695 0 Hindi :: हिंदी

संघर्ष के बाद समाज कि स्थिति असंतुलित हो जाती लगभग सही क्षेत्रों मे कमोबेश अभाव का ही मंजर होता है। सारे नुकसान कि एक साथ तत्काल भरपाई असंभव है। सारी अस्त व्यस्त परिस्थितियों को पटरी पर लाने के लिए एक लंबे समय और अंदरुनी संघर्ष कि जरुरत होती है। इसमे प्रमुख व्यवस्था मानसिक और आर्थिक स्थिति को सुद्दढ बनाने कि होनी चाहिए। बीते संघर्ष के कारणो कि तलाश कर सजग रहने कि आवश्यकता होती है।

स्वावलंबन व आत्मनिर्भरता पर अधिक ध्यान देना चाहिए और ऐसे उपक्रमों को बढावा देना चाहिए।

समाज में आर्थिक दृष्टि से समृद्ध लोगो को पिछड़े लोगो को मदद करनी चाहिए।
समाज के सभी लोगो को सभी त्योहारों हो साथ मिलकर मनाना चाहिए।
समाज के सभी लोगो मिलकर समाज में फैली कुरीतियों को ख़तम करना चाहिए।
समाज सम्मलेन के आयोजन करने चाइए।
सुख दुख में समाज के लोगो को एक दूसरे के साथ रहना चाहिए।

किसी भी समाज का विकास उसकी शिक्षा, संस्कार और रोजगार पर निर्भर करता है। इसलिए हमें अगर समाजिक उत्थान करना है तो युवाओं की शिक्षा और संस्कार पर ध्यान देना होगा। 
   बदलते समय को ध्यान में रखते हुए सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों से दूर रहते हुए समाज और राष्ट्र के विकास में अपनी भूमिका निभाए।  वही ब्राह्मण है, जो सभी प्राणियों के सुख और समृद्धि की कामना करता है। समाज भर नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति है।
संदीप कुमार सिंह संघर्ष के बाद समाज कि स्थिति असंतुलित हो जाती लगभग सही क्षेत्रों मे कमोबेश अभाव का ही मंजर होता है। सारे नुकसान कि एक साथ तत्काल भरपाई असंभव है। सारी अस्त व्यस्त परिस्थितियों को पटरी पर लाने के लिए एक लंबे समय और अंदरुनी संघर्ष कि जरुरत होती है। इसमे प्रमुख व्यवस्था मानसिक और आर्थिक स्थिति को सुद्दढ बनाने कि होनी चाहिए। बीते संघर्ष के कारणो कि तलाश कर सजग रहने कि आवश्यकता होती है।

स्वावलंबन व आत्मनिर्भरता पर अधिक ध्यान देना चाहिए और ऐसे उपक्रमों को बढावा देना चाहिए।

समाज में आर्थिक दृष्टि से समृद्ध लोगो को पिछड़े लोगो को मदद करनी चाहिए।
समाज के सभी लोगो को सभी त्योहारों हो साथ मिलकर मनाना चाहिए।
समाज के सभी लोगो मिलकर समाज में फैली कुरीतियों को ख़तम करना चाहिए।
समाज सम्मलेन के आयोजन करने चाइए।
सुख दुख में समाज के लोगो को एक दूसरे के साथ रहना चाहिए।

किसी भी समाज का विकास उसकी शिक्षा, संस्कार और रोजगार पर निर्भर करता है। इसलिए हमें अगर समाजिक उत्थान करना है तो युवाओं की शिक्षा और संस्कार पर ध्यान देना होगा। 
   बदलते समय को ध्यान में रखते हुए सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों से दूर रहते हुए समाज और राष्ट्र के विकास में अपनी भूमिका निभाए।  वही ब्राह्मण है, जो सभी प्राणियों के सुख और समृद्धि की कामना करता है। समाज भर नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति है।
(स्वरचित  मौलिक) 
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:-समस्तीपुर(देवङा)बिहार

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