Trilok Chand Jain 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य New year 14102 0 Hindi :: हिंदी
गहरी अंधेरी रात के बाद, सुहानी भोर आती है जेष्ठ की तपिश के बाद, घटाएं घनघोर छाती हैं 'यह भी नहीं रहेगा' का भाव, दुःख का दुःख भुलाता है तूफानी हवाओं में भी, विश्वास का दीप जलाता है प्रारब्ध का अंत भी है, पतझड़ के बाद बसंत भी है निराशा की इति है और आशा का आगाज है आज अगर हो जाता कल तो, आगामी कल भी तो बनता आज है जब हर गमी के बाद हर्ष है, निम्नता के बाद उत्कर्ष है बीती यादों का बीता साल, तो नई उम्मीदों से भरा ये नव वर्ष है नव वर्ष के हर मास में, श्रेष्ठ जीने के प्रयास में प्रयत्न चलता रहे, हर दिन खुशी का पुष्प खिलता रहे जनवरी से शिक्षा जागृति की, वर्ष भर सजग रहूंगा। फरवरी से पाकर शिक्षा, फना दोषों को करूंगा शिक्षा रहे मार्च की, क्षमा से वैर-विरोध समाप्त की अप्रैल से शिक्षा आर्जव की, कुटिलता के त्याग की सकारात्मकता की रहे दृष्टि सही, मई से शिक्षा पाऊं यही जून का अर्थ होता समय, हर काम समय पर करूं सही शिक्षा लब्ध जुलाई से, न्याय-नीति की कमाई से उदीयमान वर्धमान अगस्त, भोग लालसा होवे अस्त सत्य-अहिंसा बस जाये अन्तर, ऐसी शिक्षा मिले सितंबर विजयी बनूं संघर्ष में, ऐसा अक्टूबर इस वर्ष में नवंबर शिक्षा सादगी अपनाऊं, प्रभु बंदगी में खो जाऊं दिसंबर से सुकून व तसल्ली मिले, अन्त में भी उत्साह-उमंग खिले ऐसे श्रेष्ठ आचरण से संपन्न, मेरा नया साल हो मैं हूं सबका, सब है मेरे, भावना बेमिसाल हो जीवन के सभी वर्षों में, यह वर्ष मेरा कमाल हो दोष विरमण, गुण आकर्षण, ऐसा नया साल हो
Working Editor of Swadhyay Shiksha Magazine. Jainism teacher. Running Ph.D in Jain Jeevan Paddhat...