Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 गीत देश-प्रेम This poem is greeting of Flower of all the Indian Protector and most of love from Poet Heart. It is a few respect of all the Army and Police and a great awerness Citizen of India. Because this is my think that India's development will be do of all Citizens own work with Vigilance. I hope all the patriotic person of Indian Mother Land will give own love of my this poem. Jai Hind. 27826 0 Hindi :: हिंदी
उत्कृष्ठ धरा की उत्कंठा, जगती को दर्द से जगा रही! विश्राम कर रहें विश्व लोक, कर्म मेहनत को ऊठा रही!! विश्व प्रायन कर्म शुलोक, ज्यती ज्यती जय भारत मा! काल विजयी इस नारें से, हर भय संताप को हरा रही!! पवन झरोखों से आकर , अपना फर्ज है निभा गये! कर्मो को विजय कर देने को, माता भी आंचल फैला गई!! चल पड़े राह मे भारत के, माता के कितने वीर पूत्र, बहनो की रक्क्षा आश करे, कहा चले वो वीर सूत!! हर दिल की आरजू कर पूरी, आप पे विश्व को नाज होगा! होगा अभीमान बलिदानो पर, जीस मूख से निकले भारत मा!! सन सनन सन सन सननननन, रिमझीम कर दे उस वादी को! कोमल हो जाए पाव सभी, लत पत पथ पथ के रक्तो का!! ऐ पुष्प जरा तू गरज बर्ष, करना वर्षा तू ज्वालों का! उस पथ पे बर्ष कंवलीत होकर, जो राह बनी दिलवालों का!! दिल मे बसा कर भारत को, लेंगें आपका नाम सभी! देव कार्य धरती के पूत्र का, मिलेगा आर्शीवाद सभी!! प्रशाद के कलमों की गाथा, आपका ही गूण गान करे! कर्मो की अमूल निशानी को, पुरूषार्थ मेरे आबाद करे!! देखना राहों मे उनके एक ना काटां, चूभ जाए पावन कर दे उन पैरों को! तनिक राहत उन्हे मील जाए, है नमन तेरे सत कर्मों को तु भी है हिम्मतवाला!! ऐ पुष्प पुष्प ऐ पुष्प, ऐ पुष्प जरा तु गरज बरस! करना वर्षा तू ज्वालों का, उस पथ पे गीर कंवलीत होकर जो राह बनी दिलवालो का!! कवी : - अमित कुमार प्रशाद
My Self Amit Kumar Prasad S/O - Kishor Prasad D/O/B - 10-01-1996 Education - Madhyamik, H. S, B. ...