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लगता है फिर से चुनाव आया है

Anonymous 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग #upचुनाव 22241 0 Hindi :: हिंदी

आजकल गरीबों का सम्मान बढ़ गया,
जो कभी नीच थे, उनकी जूती , सर चढ़ गया,
ये क्या हुआ जमाने को ?
क्यों बदलाव आया है?
लगता है , फिर से चुनाव आया है।


अचानक हम आदर के पात्र हो गए,
कर जोर लफंगे, सुपात्र हो गए,
कौवे सी बोली थी ?
क्यों कोयल सा भाव आया है ?
लगता है, फिर से चुनाव आया है।

अहम की बाते सब , वहम हो गए,
हमसे आशीष भी, सहन हो गए,
बरगद क्यों माँगने ?
दूब से ,
छाव आया है ,
लगता है, फिर से चुनाव आया है।


विकाश के मुद्दे, अब जिंदा  हो गए,
बिना पंख कछुआ , परिंदा हो गए,
क्यों आँखें खुल गई ?
क्या अभाव आया है ?
लगता है,फिर से चुनाव आया है ।

चेहरे की खुशी ,
और होठों की मुस्कान,
खादी की सफेदी, पर मूछों की शान ,
बातो की चक_चक , अंगूठा निशान,
कितना परिवर्तन ?
कैसा स्वभाव आया है,
लगता है फिर से चुनाव आया है।

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