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आदमी - हरवंश हृदय

हरवंश हृदय 22 Apr 2024 गीत समाजिक #हरवंश हृदय #आदमी #HARVANSH 272 0 Hindi :: हिंदी

आदमी को आदमी से हैं खतरे बहुत
आदमी की हर चाल पे सम्भल जाता है आदमी

फुरसत नहीं किसी को किसी से बात करने की
बहुत कम नज़र आजकल आता है आदमी

गर पूछो कि सुबह सुबह कहाँ जाते हो भाईजान
बगैर किसी जवाब के निकल जाता है आदमी

आदमी में खामी है औकात भूल जाने की
ओहदे को पाते ही बदल जाता है आदमी

इस ख़ल्क़ में कोई सख्स खुशनसीब नहीं है
मिलने पर नई मुश्किल सुनाता है आदमी

कितना ही क्यों ना जकड़े हो अपने दिल को सीने में
कहीं न कहीं हसीं चेहरे पर फिसल जाता है आदमी

इसके पहले किसी ने कभी सोचा भी न होगा
पर आज सैर करने मंगल जाता है आदमी

चाँद से नहीं आते हैं लोग हैवानियत मचाने
खुद इंसानियत के दंगल लगाता है आदमी

आदमी को घर से फुटपाथ पर लाकर
फिर चौराहे पर कम्बल बंटवाता है आदमी

✍️ हरवंश हृदय
बांदा, उत्तरप्रदेश

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