1857 के विद्रोह की असफलता के कारणःः
कतिपय इतिहासकार 1857 के विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, तो कई सैन्य गदर, विद्रोह या क्रांति कहते हैं। बहरहाल, यह विद्रोह ही था, जो अंग्रेजों की दमनकारी-नीति के खिलाफ था। इसकी असफलता के कारण ये थे।
ऽ देशी रियासतों में आपसी सामंजस्य नहीं था। कई राजा देशहित के लिए नहीं, बल्कि अपनी रियासत बचाने के लिए युद्ध कर रहे थे। तब लगभग 550 रियासतें थीं, जिनमें अधिकांश रियासतें अंग्रेजों का साथ दे रहीं थीं।
ऽ पंजाब में पटियाला व जींद के सिख शासक, हैदराबाद का निजाम, राजपूताना के नरेश, कश्मीर का राजा गुलाब सिंह पटियाला-इंदौर के होल्कर, ग्वालियर के सिंधिया, भोपाल के नवाब, टीकागढ़, नेपाल और टेहरी के राजा आदि विद्रोह को दबाने में लगे हुए थे।
ऽ जमींदारों, साहूकारों नवाबों, निजामों तथा सामंतों ने भी कंपनी का साथ दिया। दक्षिण भारत सहित मद्रास व बंबई प्रेसीडेंसी तथा शिक्षित व मध्यमवर्ग तटस्थ रहा।
ऽ कुशल, सशक्त और देशव्यापी नेतृत्व का अभाव था। विद्रोही नेताओं व सैनिकों में एकजुटता, समन्वय, संगठन, योजना और मेलजोल नहीं होने के कारण विद्रोह की निर्धारित तिथि 31 मई 1857 के पूर्व ही विद्रोह प्रारंभ हो गई, जिससे विद्रोह का दमन करने में अंग्रेजों को सफलता मिल गई।
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