Yogesh Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 84508 0 Hindi :: हिंदी
ना जात-पात, ना ऊँच-नीच दो शब्दों में मेरी पहचान है ना पूछो तुम उपनाम मेरा बस फौजी मेरा एक नाम है शिखर रूप में तैनात हूँ हो गर्मी या चाहे कितनी सर्दी हो, और कोई भेद कहा दे सीना अपना जब लोहे की ये वर्दी हो ना मौत का डर, ना भिड़ने में मैं सोचूंगा देश में जाने वाली एक-एक गोली को यु रोकूँगा जब छोडने लगूं इस धरती को, मरते-मरते भी यही तिरंगा लहराऊंगा न जाने दूंगा जान किसी की मैं गोली खुद पे खाउंगा अंत में जाना जाऊँगा अपने धर्म से ही देश की रक्षा मेरा धर्म और यही मेरा काम है न पूछो तुम उपनाम मेरा बस फौजी मेरा एक नाम है |