Sudha Chaudhary 24 Jun 2023 कविताएँ अन्य 5062 0 Hindi :: हिंदी
एक आश न थी टूटी एक आश बनाने आये तुम एक कुसुम खिला था मन का एक और खिलाने आए तुम। तुम हमको ढूंढ रहे हो हम हदय तुम्हारा मांग रहे हैं। जो कुछ है अर्पण कर दो सर्वस्व तुम्हारा मांग रहे हैं। जीवन के सारे भेद मिटा कर , निष्ठा से बस जाओ । आओ मेरे मन में, बस , पूरी श्रद्धा से बस जाओ। सुधा चौधरी बस्ती