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मत सता

Vikas Yadav 'UTSAH' 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक विकास यादव उत्साह, मत सता, विकास यादव हिंदी कविता, समाजिक कविता, स्कूल कविता, विद्या 9107 0 Hindi :: हिंदी

           शीर्षक - मत सता

हे ! मन मत मचल,
 बस कुछ दिन ही बाकी है।
रहम कर इस दीन पर,
 सर पर कुछ जिम्मेदारी है।

हे! नींद मत सता,
 पूरी रात अभी बाकी है।
 चल लेने दे थोड़ी राह पर,
 अभी चांद से मिलना बाकी है।

हे ! अखियां मत बिचल,
 रह एकाग्र पथ पर अपना।
 इन आंखों से क्या नहीं देखना,
एक दिन का देखा सपना।

इस दीन ने देखा था,
 एक दिन- दिन में सपना।
 पैरों पर खड़ा होकर, 
तारुं कुटुंब का दीन अपना।

काव्य - विकास यादव "उत्साह"
(हैदरगंज ,गाजीपुर, उत्तर प्रदेश)

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