Maushami 23 May 2023 कविताएँ अन्य आधी #अधूरी #ज़िंदगी # किस्मत 5768 0 Hindi :: हिंदी
आधी अधूरी ज़िंदगी, थी किसकी ये दारिंदगी? थी किस्मत या कोई खेल, हमने पूछा खुदा से, "क्यों ये है ऐसी हालत तेरी ज़मीन की?" रात-दिन चलता रहा सफ़र, पर कोई मंज़िल नहीं थी पार। ग़म के बादल छाए रहे, हर पल हमको सहारा था, प्यार नहीं था यार। उलझे हुए रास्ते थे हमारे, किसी ने दिया था साथ नहीं हमको सदा। दुख के आंधी में बह रहे थे, कोई रास्ता नहीं था समझने की वजह। पर फिर अचानक उजाला आया, कहीं कोई किस्मत बदल गई थी अपनी माया। दिल में उम्मीद की शमा जल गई, सपनों की कश्ती लहरों में चल गई। ज़िंदगी की चांदनी ने छुआ, हमको खुशियों का एहसास हुआ। आधी अधूरी ज़िंदगी को छोड़कर, पूरी हुआ सपनों का साथ। हिम्मत से लड़ना सीख गए, कठिनाइयों से हौसला खुद बनाए। किस्मत की बारिश में भीगते रहे, पर खुद अपनी मंज़िल को पाए। आधी अधूरी ज़िंदगी थी हमारी, पर आज पूरी हो गई कहानी।