संदीप कुमार सिंह 11 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5229 1 5 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) घर से निकल आए घर के लिए पैसे कमाने। कई रूप देखे कई सवाल यहां के जमाने। परिश्रम रंग लाया पाया मैंने यहां सबकुछ _ हरेक रत्नों से भरा है आज मेरे खजाने। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
8 months ago
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....