मुस्ताक अली शायर 07 Apr 2023 शायरी हास्य-व्यंग कविता शेर गजल शायरी 8113 0 Hindi :: हिंदी
हुस्न के जलवों के सामने सांसों को कर दूं आहिस्ता ये हो नहीं सकता हसीनों की भीड़ में सिर्फ एक से ही रखूं वास्ता ये हो नहीं सकता बीवी के डर से मंडराना छोड़ दूं पड़ोसन के घर का रास्ता ये हो नहीं सकता।। लेखक।। मुस्ताक अली शायर।।